निर्मल, कलकल धारा सी वसित उद्धरित ये साहित्य के आत्मा में समाहित निर्मल, कलकल धारा सी वसित उद्धरित ये साहित्य के आत्मा में समाहित
सिमट रही गरीबी बेरोज़गारी महँगाई अब रहेगा न कोई भूखा प्यासा आवाम देख लो सिमट रही गरीबी बेरोज़गारी महँगाई अब रहेगा न कोई भूखा प्यासा आवाम देख लो
पलती रही है जिंदगी निर्धन अमीर की यह सौ अरब जनों का सहारा है दोस्तो। पलती रही है जिंदगी निर्धन अमीर की यह सौ अरब जनों का सहारा है दोस्तो।
यह तो एक सुखद उपवन है, कलयुग के कहरों में। यह तो एक सुखद उपवन है, कलयुग के कहरों में।
कहीं लाल किला कहीं कुतुब मीनार कहीं प्रेम की प्राचीर ताजमहल। कहीं लाल किला कहीं कुतुब मीनार कहीं प्रेम की प्राचीर ताजमहल।
जहाँ के संविधान भी दुनिया में अनूठे हैं कर्मठ और शक्तिशाली वो देश भारत है। जहाँ के संविधान भी दुनिया में अनूठे हैं कर्मठ और शक्तिशाली वो देश भारत है।